ओवरथिंकिंग की जकड़न: क्यों नहीं छोड़ पाते हम ज्यादा सोचना और इससे कैसे निकले?

ओवरथिंकिंग की जकड़न: क्यों नहीं छोड़ पाते हम ज्यादा सोचना और इससे कैसे निकले?



क्या आप भी हर छोटी बात पर घंटों सोचते रहते हैं? क्या कोई पुरानी बात, किसी का कहा हुआ एक वाक्य या भविष्य की चिंता आपके दिमाग से निकलती ही नहीं? अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं। यह स्थिति जिसे आमतौर पर ओवरथिंकिंग (Overthinking) कहा जाता है, आज के समय में लाखों लोगों की मानसिक शांति छीन रही है।

क्या है ओवरथिंकिंग?

ओवरथिंकिंग का मतलब होता है किसी एक बात को बार-बार सोचते रहना, बिना किसी समाधान पर पहुंचे। यह सोच धीरे-धीरे चिंता, तनाव और मानसिक थकावट का कारण बनती है। लोग अक्सर सोचते हैं कि वे समाधान ढूंढ़ रहे हैं, लेकिन असल में वे उसी दायरे में उलझे रहते हैं।

क्यों नहीं छोड़ पाते हम ओवरथिंक करना?

1. अतीत की गलती या अफसोस – "काश ऐसा न किया होता" जैसी बातें बार-बार दिमाग में घूमती हैं।


2. भविष्य की चिंता – "अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा?" इस सोच से वर्तमान का आनंद भी खो जाता है।


3. निर्णय लेने में कठिनाई – कोई भी फैसला लेने से पहले उसके हर पहलू पर बार-बार विचार करना।


4. नकारात्मक अनुभवों का असर – जब किसी नकारात्मक अनुभव का डर मन पर छा जाता है, तो वह हर निर्णय पर हावी हो जाता है।



ओवरथिंकिंग के लक्षण

एक ही बात को बार-बार सोचते रहना

नींद न आना या बार-बार नींद टूटना

खुद को दोष देना

बार-बार ‘क्या होता अगर’ जैसे सवालों में उलझना

मन में असुरक्षा और डर का बढ़ना


कैसे पाएं राहत?

1. वर्तमान पर ध्यान दें – ध्यान (Meditation) और श्वास अभ्यास (Breathing exercises) से मन को वर्तमान में लाना संभव है।


2. सोच को लिखें – अपने विचारों को कागज पर उतारना मन को हल्का कर सकता है।


3. निर्णयों को समय दें, लेकिन सीमा तय करें – किसी भी निर्णय पर सोचने के लिए सीमित समय तय करें।


4. खुद से दयालुता रखें – खुद को बार-बार दोष न दें, हम इंसान हैं और गलतियां होना स्वाभाविक है।


5. व्यस्त रहें – रचनात्मक काम, जैसे लेखन, पेंटिंग या व्यायाम से दिमाग व्यस्त रहता है और फालतू सोच से राहत मिलती है।



विशेषज्ञों की राय

मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. श्रेया मुखर्जी कहती हैं, “ओवरथिंकिंग को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। यह डिप्रेशन, एंग्जायटी और आत्मविश्वास की कमी का कारण बन सकता है। समय रहते इसका समाधान जरूरी है।”


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निष्कर्ष
ओवरथिंकिंग छोड़ना आसान नहीं है, लेकिन असंभव भी नहीं। खुद को समझना, वर्तमान में जीना और व्यस्त रहना इस आदत को धीरे-धीरे खत्म कर सकता है। याद रखें, सोच का मकसद समाधान खोजना होना चाहिए, न कि खुद को उलझाना।

अगर आप भी ओवरथिंकिंग से परेशान हैं, तो इस पर चुप न रहें। जरूरत पड़े तो किसी काउंसलर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से बात करें।

(यह लेख मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है।)

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