चेक बाउंस: एक छोटी चूक, बड़ी मुसीबत!

चेक बाउंस: एक छोटी चूक, बड़ी मुसीबत!



चेक के ज़रिए लेन-देन आज भी देश में भरोसेमंद और पुराना तरीका माना जाता है। चाहे व्यापारिक सौदा हो, किराए का भुगतान हो या फिर कोई निजी लेन-देन—लोग आज भी चेक पर भरोसा करते हैं। लेकिन अगर यह चेक बाउंस हो जाए, तो यह सिर्फ एक वित्तीय समस्या नहीं रह जाती, बल्कि आपके लिए कानूनी झंझटों का कारण भी बन सकती है।

क्या होता है चेक बाउंस?
जब बैंक किसी दिए गए चेक का भुगतान करने से इनकार कर देता है, तो उसे चेक बाउंस कहा जाता है। इसके पीछे मुख्य कारण हो सकता है—खाते में पर्याप्त राशि न होना, गलत सिग्नेचर, या फिर तकनीकी गड़बड़ी।

कानूनी सजा क्या है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 138 के तहत, चेक बाउंस एक दंडनीय अपराध है। इसमें दोषी को दो साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है। साथ ही, जिस व्यक्ति को नुकसान हुआ है, वह अदालत में वसूली का दावा भी कर सकता है।

कैसे बचें इस परेशानी से?

हमेशा यह सुनिश्चित करें कि खाते में पर्याप्त राशि हो।

चेक भरते समय सिग्नेचर, तारीख और अमाउंट सही तरीके से भरें।

भुगतान के लिए डिजिटल विकल्पों का भी सहारा लें।


चेक एक भरोसे का प्रतीक है, लेकिन अगर उसमें चूक हो जाए तो विश्वास और कानून दोनों ही बिगड़ सकते हैं। इसलिए सावधानी ही सुरक्षा है।

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