तुर्की निकाला बेईमान – भारत ने की थी मदद वो निकाला बेईमान
जब हम कश्मीर की बात करते हैं, तो सिर्फ घाटी की खूबसूरती ही नहीं, बल्कि उसके बंटे हुए दिल की भी बात करते हैं। POK यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर, भारत के उस हिस्से की कहानी है जो 1947 के विभाजन के दौरान साजिशों और संघर्षों के बीच छीन लिया गया। लेकिन क्या सिर्फ नक्शे से कोई हिस्सा मिट सकता है? इस ब्लॉग में हम POK की ऐतिहासिक, सामाजिक और सामरिक हकीकतों पर रोशनी डालेंगे।
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1. इतिहास के पन्नों से:
1947 में भारत-पाक विभाजन के समय, जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत में विलय का फैसला किया। लेकिन पाकिस्तान समर्थित कबायलियों ने हमला कर दिया और घाटी का एक बड़ा हिस्सा कब्जे में ले लिया। यह वही हिस्सा है जिसे आज हम POK के नाम से जानते हैं।
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2. आज की हकीकत:
POK आज पाकिस्तान के प्रशासनिक नियंत्रण में है, लेकिन वहां के लोग अब भी मुख्यधारा से कटे हुए हैं। न बुनियादी सुविधाएं हैं, न लोकतांत्रिक अधिकार। वहां के कई नागरिक खुद कहते हैं कि भारत के साथ रहने का विकल्प बेहतर होता।
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3. भारत का रुख:
भारत लगातार यह मानता आया है कि POK, भारत का अभिन्न अंग है। संसद में 1994 में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ कि POK भारत का हिस्सा है और रहेगा। हाल ही में भारत के नक्शों और घोषणाओं में इसे और मजबूती से दर्शाया गया है।
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4. स्थानीय लोगों की आवाज़:
कई बार POK के मुज़फ्फराबाद, गिलगित और बाल्टिस्तान से ऐसे वीडियो सामने आते हैं जिनमें लोग पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगाते हैं। वे कहते हैं, "हमें पाकिस्तान नहीं, आज़ादी चाहिए।" यह वहां की ज़मीनी सच्चाई का संकेत है।
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5. कूटनीति और भविष्य की राह:
भारत ने अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर POK के मुद्दे को सक्रियता से उठाना शुरू कर दिया है। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) जैसे प्रोजेक्ट्स पर भी भारत ने आपत्ति जताई है क्योंकि वो भारत की जमीन पर बन रहे हैं।
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POK सिर्फ एक भूभाग नहीं, बल्कि भारत के इतिहास और आत्मा का हिस्सा है। भले ही वो आज अलग दिखता हो, लेकिन भारत की नजर में वो कभी अलग नहीं रहा। सवाल सिर्फ भूगोल का नहीं, उस भरोसे और आत्म-सम्मान का है जो एक दिन जरूर पूरा होगा।
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