भारत के सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान पूर्णम कुमार शॉ को पाकिस्तान ने लगभग तीन सप्ताह की हिरासत के बाद भारत को सौंप दिया।



 यह सौंपा सुबह 10:30 बजे अमृतसर के अटारी-वाघा सीमा पर हुआ, जो दोनों देशों के बीच स्थापित प्रोटोकॉल के तहत शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। 

कैसे हुआ सीमा पार?

पूर्णम कुमार शॉ, जो पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रहने वाले हैं, 23 अप्रैल को पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में ड्यूटी के दौरान गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर गए थे।  इस घटना के अगले दिन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ा दिया था, जिससे उनकी वापसी में देरी हुई। 

वापसी के पीछे की कूटनीति

भारत सरकार और BSF ने शॉ की वापसी सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तान रेंजर्स के साथ नियमित फ्लैग मीटिंग्स और अन्य संवाद माध्यमों के जरिए निरंतर प्रयास किए।  इस प्रक्रिया को "ऑपरेशन सिंदूर" नाम दिया गया, जो भारत की कूटनीतिक सफलता का प्रतीक है। 

परिवार की प्रतिक्रिया

पूर्णम कुमार शॉ की पत्नी, रजनी शॉ, जो इस समय गर्भवती हैं, ने उनके सुरक्षित लौटने पर खुशी और राहत व्यक्त की।  उनके पिता, भोलेनाथ शॉ, ने भी सरकार और BSF का आभार जताया और कहा, "मैं विश्वास नहीं कर पा रहा था।" 

दोनों देशों के बीच सद्भावना का संकेत

इस सौंपे के साथ ही भारत ने भी एक पाकिस्तानी रेंजर को, जो लगभग दो सप्ताह से भारतीय हिरासत में था, वापस पाकिस्तान को सौंप दिया।  यह कदम दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और संवाद को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। 

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